The Greatest Guide To Shodashi

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ज्येष्ठाङ्गबाहुहृत्कण्ठकटिपादनिवासिनीम् ॥७॥

The worship of such deities follows a selected sequence referred to as Kaadi, Hadi, and Saadi, with Each and every goddess connected with a specific approach to devotion and spiritual practice.

सौवर्णे शैलश‍ृङ्गे सुरगणरचिते तत्त्वसोपानयुक्ते ।

यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari ashtottarshatnam

The observe of Shodashi Sadhana is a journey toward each pleasure and moksha, reflecting the twin nature of her blessings.

उत्तीर्णाख्याभिरुपास्य पाति शुभदे सर्वार्थ-सिद्धि-प्रदे ।

षोडशी महाविद्या प्रत्येक प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ हैं। मुख्यतः सुंदरता तथा यौवन से घनिष्ठ सम्बन्ध होने के परिणामस्वरूप मोहित कार्य और यौवन स्थाई रखने हेतु इनकी साधना अति उत्तम मानी जाती हैं। त्रिपुर सुंदरी महाविद्या संपत्ति, समृद्धि दात्री, “श्री शक्ति” के नाम से भी जानी जाती है। इन्हीं देवी की आराधना कर कमला नाम से विख्यात दसवीं महाविद्या धन, सुख तथा समृद्धि की देवी महालक्ष्मी है। षोडशी देवी का घनिष्ठ सम्बन्ध अलौकिक शक्तियों से हैं जोकि समस्त प्रकार की दिव्य, अलौकिक तंत्र तथा मंत्र शक्तियों की देवी अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। तंत्रो में उल्लेखित मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, स्तम्भन इत्यादि जादुई शक्ति षोडशी देवी की कृपा के बिना पूर्ण नहीं होती हैं।- षोडशी महाविद्या

She will be the possessor of all wonderful and wonderful matters, like Bodily products, for she teaches us to possess with out remaining possessed. It is said that more info stunning jewels lie at her ft which fell in the crowns of Brahma and Vishnu if they bow in reverence to her.

या देवी दृष्टिपातैः पुनरपि मदनं जीवयामास सद्यः

By embracing Shodashi’s teachings, people today cultivate a life enriched with objective, adore, and connection to the divine. Her blessings remind devotees from the infinite splendor and wisdom that reside in just, empowering them to Stay with authenticity and joy.

अकचादिटतोन्नद्धपयशाक्षरवर्गिणीम् ।

These gatherings are not just about individual spirituality but additionally about reinforcing the communal bonds via shared ordeals.

॥ ॐ क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं श्रीं ॥

॥ अथ त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः ॥

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